लेखनी कहानी -09-Nov-2021
कदमों ने कुछ दूर तन्हा चल कर कहा।
हम बिना उनके ये कहा चल दिये।
बस छलावा सा लगता है बिन तुम्हारे।
अब सासों में भी वो सांस बन चल दिये।
हम ने द्वार पे दीपक प्यार के जलाये रखे है।
जलते दीपों में तुम्हारे नाम के महताब जल दिये।
इश्क़ के नाम पर बेखबर थे जो जमाने में।
तुम्हारे इश्क़ में वो भी इस राह पे चल दिये।
कुमार आनन्द